Wednesday, April 21, 2010

रात

एक रात को मौसम भी डरा रहा था ,
कहीं दूर कोई ज़िन्दगी से लड़ रहा था,
मासूमियत थक कर आँखों में सो रही थी,
और इस जालिम ज़माने में कोई दीवाली मना रहा था !

भावनाएं तो अनमोल थी,
पर कोई कौड़ियों का भाव लूटा रहा था,
सासों कि डोर टूटने को थी,
जिंदगी कि राह में कोई सपने सजा रहा था !

रात तो आकर चली गयी,
मौसम भी सुहावना होने लगा,
सारे जहाँ में जश्न का माहौल था,
पर कहीं किसी कोने में दफ़न एक मासूम था !!!!!!!