Monday, November 16, 2009

इंसानों की बस्ती


कौन चाहता है यहाँ
कौन रुकता है यहाँ

कौन दीखता है यहाँ

आते और जाते लोग यहाँ

ऐसे दीवानों की बस्ती और कहाँ !!!!!!!!


कुछ पाने की होड़ में

सब रिस्तों की जोड़ में

मन की जोड़-तोड़ में

मिल जाते हैं लोग यहाँ

ऐसे अरमानों की बस्ती और कहाँ !!!!!!!


ख़ुद को आगे बढ़ाने के लिए

अपने किया गुनाहों को छिपाने के लिए

हर किसी को छलने के लिए

रहते हैं तैयार लोग यहाँ

ऐसे बेईमानों की बस्ती और कहाँ !!!!!!!


चुप है जुबान बुरे से डरकर

झुका है सर सच्चाई को

शर्मसार है इंसानियत अपना वजूद जानकर

रहते हैं ऐसे लोग यहाँ

ऐसे इंसानों की बस्ती और कहाँ !!!!!!!!!!

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