Tuesday, November 10, 2009

बीते पल



कुछ तो बात थी उन राहों की

कुछ तो साथ थी उन बाँहों की

कुछ तो महक थी उन सासों की

आज भी चले आते हैं याद उन दिनों की



किसी के चाहत में ख़ुद को भुलाना

कुछ उसकी सुनना, कुछ अपनी सुनाना

कैसे भुला दें हम वो बिता हुआ जमाना

बहुत मुश्किल है उन यादों को मिटाना



एक चाहत थी उन रातों में

एक जादू था उन बातो में

एक सपना था उन आखों में

संजोय रखें हैं उन पलों को दिल में



आज के साथ से , रोज की बात से

कुछ रुके हुए पल से, ख्वाबों की दुनिया से

एक कसक सी होती है दिल में उन

बीते पलों की यादों से

6 comments:

  1. Kya baat hai..sundar rachna..swagat hai!

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  2. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढ़े और अपनी बहुमूल्य
    टिप्पणियां करें

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