कुछ तो बात थी उन राहों की
कुछ तो साथ थी उन बाँहों की
कुछ तो महक थी उन सासों की
आज भी चले आते हैं याद उन दिनों की
किसी के चाहत में ख़ुद को भुलाना
कुछ उसकी सुनना, कुछ अपनी सुनाना
कैसे भुला दें हम वो बिता हुआ जमाना
बहुत मुश्किल है उन यादों को मिटाना
एक चाहत थी उन रातों में
एक जादू था उन बातो में
एक सपना था उन आखों में
संजोय रखें हैं उन पलों को दिल में
आज के साथ से , रोज की बात से
कुछ रुके हुए पल से, ख्वाबों की दुनिया से
एक कसक सी होती है दिल में उन
बीते पलों की यादों से
स्वागत है आपका!!
ReplyDelete-सुलभ (यादों का इंद्रजाल)
Kya baat hai..sundar rachna..swagat hai!
ReplyDeletehttp://shamasansmaran.blogspot.com
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वाह !
ReplyDeleteहिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढ़े और अपनी बहुमूल्य
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yaden kabhi jati nahin .
ReplyDeletenarayan narayan
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